केंद्र सरकार और दुबई के बीच एक अहम समझौता हुआ था. इस समझौते के तहत दुबई जम्मू-कश्मीर में निवेश करने जा रहा है. अब भारत की एयरलाइन गो फर्स्ट ने श्रीनगर और शारजाह के बीच उड़ानों के लिए पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल करने का मामला सामने आया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत ने इस मामले में पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र को इस्तेमाल करने से पहले किसी पाकिस्तानी प्रशासन से अनुमति भी नहीं ली है।
जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर और यूएई के शारजाह के बीच सीधी उड़ान शुरू होने के कुछ दिनों बाद ही विवाद सामने आ रहे हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 23 अक्टूबर को श्रीनगर-शारजाह फ्लाइट को हरी झंडी दिखाई थी. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि भारतीय एयरलाइन ने कई बार पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है. रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि भारत की तरफ से पाकिस्तानी एयरस्पेस में प्रवेश करने की इजाजत भी नहीं ली गई थी.
पाकिस्तानी पत्रकार अरशद शरीफ ने एक स्थानीय टीवी चैनल पर एक टॉक शो में दावा किया कि भारत की एयरलाइन गो फर्स्ट ने श्रीनगर और शारजाह के बीच उड़ानों के लिए पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल किया है. उन्होंने कहा कि हमने कम से कम तीन उड़ानों को ट्रैक किया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत ने इस मामले में पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र को इस्तेमाल करने से पहले पाकिस्तानी प्रशासन से अनुमति नहीं ली है.
बता दें कि गो फर्स्ट ने श्रीनगर से सीधी अंतरराष्ट्रीय उड़ान और अंतरराष्ट्रीय कार्गो संचालन शुरू करने वाली पहली एयरलाइन है. गो फर्स्ट श्रीनगर और शारजाह के बीच एक सप्ताह में चार फ्लाइट्स का संचालन करेगी. एयरलाइन ने अपने एक बयान में कहा था कि शारजाह के लिए सीधे उड़ान शुरू होने से श्रीनगर और यूएई के बीच व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा भी मिलेगा।
पाकिस्तानी सरकार ने भारतीय एयरलाइन्स को परमिशन क्यों दी?’
पाकिस्तान के पूर्व राजदूत ने इस मामले में अपने यूट्यूब चैनल पर बात की है. उन्होंने कहा कि गो एयरलाइन ने पाकिस्तान की फिजाओं यानी पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल किया. ये तो सिर्फ पाकिस्तानी हुकूमत ही बता सकती है कि हमने भारतीय एयरलाइन्स को ये परमिशन क्यों दी कि वे श्रीनगर से शारजाह के बीच ऑपरेट कर रही है. जहां तक मुझे पता है, श्रीनगर या जम्मू-कश्मीर से कोई फ्लाइट ऑपरेट नहीं होती है, हालांकि, हज के मौके पर श्रीनगर से स्पेशल फ्लाइट्स चलती हैं क्योंकि कश्मीर के लोग हमारे भाई-बहन हैं, इसलिए पाकिस्तानी सरकार हज के मौके पर इन फ्लाइट्स को अनुमति दे देती है।
उन्होंने आगे कहा कि मुझे नहीं पता कि पाकिस्तान पर ये दबाव संयुक्त अरब अमीरात की तरफ से आया है या फिर भारत से लेकिन आपको याद होगा कि 5 अगस्त 2019 के बाद हमने तीन महीनों तक भारत की कमर्शियल फ्लाइट्स को बंद कर दिया था. मुझे लगता है कि पाकिस्तानी हुकूमत को आवाम को बताना चाहिए कि उन्होंने क्यों भारतीय एयरलाइन्स को पाकिस्तानी एयरस्पेस में विमान उड़ाने की इजाजत दी है।
गौरतलब है कि इस मामले में इमरान खान को विपक्षी दलों ने भी घेरा है. विपक्ष का कहना है कि पाकिस्तान के वजीरे-आजम इमरान खान साफ तौर पर कई बार कह चुके हैं कि जब तक भारत कश्मीर से आर्टिकल 370 से जुड़े फैसले को पलट नहीं देता है तब तक भारत के साथ रिश्ते सामान्य नहीं किए जा सकते हैं. अगर ऐसा है तो भारत आसानी से पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र को इस्तेमाल कैसे कर रहा है? क्या उन्हें इस बारे में अंदाजा भी है कि भारत की फ्लाइट्स पाकिस्तान के ऊपर से होते हुए जा रही हैं?
उमर अब्दुल्ला ने भी किया इस मामले में ट्वीट
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर इस मुद्दे को लेकर बात की है. उन्होंने इस मामले में ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘क्या श्रीनगर-शारजाह फ्लाइट को लेकर पाकिस्तान का हृदय परिवर्तन हो चुका है? और क्या श्रीनगर से आने वाली फ्लाइट्स को पाकिस्तान ने अपना हवाई क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति दे दी है? यदि ऐसा नहीं है तो ये फ्लाइट भी उसी तरह से बंद हो जाएगी जैसा यूपीए के दूसरे शासनकाल में देखने को मिला था. इसके बाद उन्होंने एक और ट्वीट में लिखा कि ये देखना सुखद है कि हवाई क्षेत्र के उपयोग पर इनकार करना अब बीते दौर की बात हो चुकी है. शायद भारत-पाकिस्तान के बीच संबंधों को लेकर उम्मीद अब भी बरकरार है।
भारत और दुबई के बीच हुए समझौते से भी नाराज पाकिस्तान
बीते दिनों केंद्र सरकार और यूएई के शहर दुबई के बीच एक अहम समझौता हुआ था. इस समझौते के तहत दुबई जम्मू-कश्मीर में निवेश करने जा रहा है. इस समझौते के तहत दुबई कश्मीर में औद्योगिक पार्क, आईटी टावर, बहुउद्देश्यीय टावर, लॉजिस्टिक टॉवर्स, मेडिकल कॉलेज और एक विशेष अस्पताल सहित बुनियादी ढांचे का निर्माण करेगा. इसे लेकर भी पाकिस्तान में काफी हंगामा हुआ था. पाकिस्तान के पूर्व राजदूत अब्दुल बासित ने इसे भारत की बहुत बड़ी जीत करार दिया था।
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