प्रशांत किशोर को बिहार की जाति आधारित राजनीति में मिसफिट माना जा रहा था, लेकिन उनके हालिया फैसलों ने आलोचकों को चौंका दिया है। उनकी राजनीति का अंदाज अरविंद केजरीवाल से मिलता-जुलता है, लेकिन बिहार की जातिवादी राजनीति और दिल्ली के कॉस्मोपॉलिटन मिजाज में फर्क है। किशोर का ब्राह्मण होना भी एक चुनौती माना जा रहा है।
हाल ही में पटना में गिरफ्तारी के बाद किशोर ने जमानत की शर्तें मानने से इनकार कर जेल जाना पसंद किया, जो उनके विरोधियों के लिए खतरे की घंटी है। जेल से रिहा होते ही उन्होंने नीतीश कुमार और बीजेपी पर हमला बोला और युवाओं के मुद्दों पर साथ देने की अपील की।
उनकी राजनीति पुरानी व्यवस्था को चुनौती दे रही है और वे बिहार में बदलाव लाने का दावा कर रहे हैं। किशोर का कहना है कि अगर उन्हें मौका मिला, तो युवाओं को रोजगार के लिए घर छोड़कर बाहर नहीं जाना पड़ेगा।
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