कौन सा पक्षी है जो मुंह से भोजन और मल दोनों करता है : हमारे बीच में कई ऐसे जानवर हैं जिनके बारे में हम काफी कुछ नहीं जानते बस इतना ही जानते हैं कि इनको अंधेरों में रहना पसंद है और रात में खाने की कोशिश में बाहर निकलते हैं ! जी हां, चमगादड़ (Bat) के बारे में बात कर रहे हैं ! ये दुनिया से अलग रहने वालों पक्षियों में गिने जाते हैं ।
चमगादड़ उड़ने वाले पक्षियों में से एक स्तनधारी जीव है, जो अपनी 1,000 से भी ज्यादा प्रजातियों के साथ स्तनधारियों के दूसरे सबसे बडे़ कुल को बनाने का काम करते हैं ! ये पूरी तरह से निशाचर होते हैं और पेड़ों की डाली या किसी भी अंधेरी गुफाओं के अंदर उल्टा लटके रहते हैं ! इतना ही नहीं इस पक्षी के आपके आस-पास होने का पता आपको तब तक नहीं चलता जब तक आप कोई आवाज करके इनको नींद जगा नहीं देते ।
ये पक्षी अपने मुंह से भोजन और मल दोनों करता है।
ये निशाचर ज्यादा तक पूराने किलों और खंडरों में आपको आराम से देखने को मिल जाएंगे और आपको ये जानकर काफी हैरानी होगी कि ये निशाचर अपने मुंह से ही भोजन के साथ-साथ मल दोनों करता है ! इनको दो समूहों मे विभाजित किया जाता है ! पहला समूह फल खाने वाले बडे़ चमगादड़ों का होता है, जो देख कर और सूंघ कर अपने खाने की तलाश करते हैं, जबकि दूसरा समूह कीटों को खाने वाले छोटे चमगादड़ का होता है, जो आवाजों के द्वारा स्थिति को पहचान कर अपना भोजन की तलाश करते हैं !
ऐसी होती है चमगादड़ की रूप रेखा
यह जीव एकमात्र ऐसा स्तनधारी है जो दिन के उजाले में और रात ते अंधेरे दोनों में उड़ सकता है ! इसके बड़े-बड़े पंख मे परिवर्तित हो गये हैं जो देखने में झिल्ली (पेटाजियम) के समान लगते हैं ! साथ ही उनकी त्वचा की यह झिल्ली गरदन से लेकर हाथ की अंगुलियों और शरीर के हर दिशा से होती हुई पूंछ तक चली जाती है और पंख को बनाती है ! वहीं इनकी पिछली टांगें पतली, छोटी और नखयुक्त होती हैं ! इसके शरीर पर बाल बेहद ही कम ही होते हैं ।
इनका वजन 2 ग्राम से 1200 ग्राम तक
इसके अलावा सिर के दोनों ओर बड़े-बड़े कर्णपल्लव पाये जाते हैं ! चमगादड़ के पंखो का आकार 2.6 सेण्टीमीटर से लेकर 1500 सेण्टीमीटर तक और इनका वजन 2 ग्राम से 1200 ग्राम तक होता है ! बता दें कि चमगादड़ उलटे इसलिए लटकते हैं क्योंकि उल्टे लटके रहने से वे बड़ी आसानी से उड़ान भर सकते हैं ! वे बाकी पक्षियों की तरह वे जमीन से उड़ान नहीं भर पाते और इसके पीछे की वजह है उनके पंख भरपूर उठान नहीं देते और उनके पिछले पैर इतने छोटे और अविकसित होते हैं कि वो दौड़ कर गति नहीं पकड़ पाते !
इसलिए उल्टे लटक कर सोते हैं ये जीव
इसके अलावा चमगादड़ आमतौर पर अंधेरी गुफाओं में दिनभर आराम करनेके साथ-साथ अपनी मींद पूरी करते हैं और रात को ही निकलते हैं ! ये सोते हुए ये इसलिए नहीं गिरते क्योंकि चमगादड़ के पैरों की नसें इस तरह की एक व्यवस्थित बनी हुई हैं कि उनका वजन ही उनके पंजों को मजबूती के साथ पकड़ने में मदद करता है ! इतना ही नहीं कुछ देशो में इन्हें निशाचर जीवों को खाने के रूप में भी खाया जाता है जिसमें चीन सबसे आगे और इसी के चलते वहां कई तरह की बीमारियों का आगमन भी होता रहता है।
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